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  • WHAT IS COURT MARRIAGE - सलाह-लाभ-हानियाँ, सावधानियाँ- रजिस्ट्रेशन आदि जानिये कुछ :-

    👫Court Marriage क्या है?:- जब दोनो पक्ष (वर-वधु) विवाह करना चाहे लेकिन निम्न स्थितियां हो-
    1.     परिवार वाले विवाह से सहमत न हो, लेंकिन वर-वधु (भावी) विवाह करना चाह रहे हो,
    2.     परिवार वाले वर या वधु की ईच्छा के विरूद्ध विवाह कहीं और करना चाह रहे हो, लेंकिन वर-वधु (भावी) आपस में विवाह करना चाह रहे हो,
    3.     यदि दुर्भायवश परिवार के कोई पारिवारिक सदस्य न हो, ऐसे युगलों को भी विवाह की स्वतंत्रता, सम्मान और अधिकार,
    4.     विवाह के लिए भारतीय संविधान, विधि-अधिनियमों को वर्तमान मान्यताओ पर महत्त्व दिया जाएँ,
    5.     साथ रह रहे हो (Live-in) लेकिन धार्मिक विश्वास, आडम्बरो और रुढियों को न मानते होऔर विधिक आवश्यकताओ के लिए रिश्ते को प्रमाणीकरण की आवश्यता हो,
    6.     दोनों पक्ष विभिन्न-धर्मोसंस्कृतियों को मनाने वाले होजिससे विवाह के तरीके और पद्धति पर सहमती न बन पा रही होजैसे हिन्दी-पंजाबीबंगाली-मराठीइसाई-मुस्लिममुस्लिम हिन्दू या इनका विपरीत आदि
    7.     यह विवाह कम खर्चीला और जल्द से जल्द होने वाला है अर्थात समय और पैसे की बचत के साथ क़ानूनी मान्यता भी है | (इसीलिए इसे आधुनिक विवाह पद्धतिसामाजिक बुराइयों का इलाज या विद्वानों- शिक्षितों का विवाह कहते है),
        👍कोर्ट मैरिज के लाभ:- 

    1.     वर-वधु की ख़ुशी / इच्छाओं और पसंद का महत्तव होता है|
    2. बेकार के आडम्बर, फिजूलखर्ची, दिखावा और इर्ष्या-द्वेष और नीचा दिखाना, दहेज़, उत्पीडन, शराबबाजी, आदि नकारात्मकताओं का दमन|
    3.     विभिन्न विधिक/क़ानूनी दस्तावेजो के अंतर्गत होता है, जिससे की वधु का शोषण और उत्पीडन होता नहीं होता है, तथा विभिन्न विधिक कागज आदि ने होने से विदेश में वीजा, और विवाह को मान्यता मिलने में समस्या भी नहीं होती है|
    4.     पति/पत्नी की मृत्यु होने पर बिमा, नौकरी, या अधिकार लेने में समस्या नही होती है, और पीड़ित को उसके अधिकार भी मिल जाते है||
    5.     सामाजिक विवाह भारत में कन्या पक्ष को छोटा और मजबूर दिखता है, और कन्या का स्थान पति के बाद आता है, जो समानता के सिद्धांत के विरुद्ध है, जबकि कोर्ट मैरिज में दोनों पक्ष सम्पूर्ण बराबरी का स्थान रखते है|
    6.     सामाजिक विवाह असमानता, भेदभाव, इच्छा थोपना, दहेज़ को बढ़ाना, ध्वनि प्रदुषण, नशाखोरी और आर्थिक शोषण का अंग बन गया है, जबकि कोर्ट मैरिज इस सबसे अलग पुरानी भारतीय मान्यताओ (वर-वधु का गुण, कर्म, स्वभाव के अनुसार विवाह, कन्या स्वयंवर आदि) का आधुनिक रूप है|
    7.     धार्मिक उन्माद को कम करना, सभी धर्मो-पन्थो-सम्प्रदायों को समान महत्तव देना, सांस्कृतिक सुमिलन का मंच, और राष्ट्रिय एकता को सुनिश्चित करने आदि का एकमात्र विधिक/ सामाजिक विकल्प
    8.     विधि और संविधान में विश्वास स्थापित करवाने का एकमात्र विकल्प

                    👎कोर्ट मैरिज के कुछ नकारात्मक पक्ष:-

    1. कुछ सभ्यता– संस्कारो और धार्मिक मान्यताओ का लोप होता है,
    2. संबंधो को सामाजिक पहचान थोडा समय से और सहजता से नहीं मिल पाती है,
    3. एक साथ विवाह की सामाजिक उद्घोषणा अलग से की जाती है, सबको एक-एक करके बताया जाता|
    4. सामाजिक विवाह से दोनों परिवारों का मिलन होता है, और नए रिश्तो जैसे साला, साली, ननद, देवर, सास-ससुर आदि को जल्दी पहचान मिलती है एक नया सामाजिक समूह बनता है, कोर्ट मैरिज के बाद इसमे थोडा समय लगता है,

    5.  सामाजिक विवाह में  दावते होती है , आतिथ्य सत्कार होता है, सामाजिक दायरा बढ़ता है, लेकिन कोर्ट मैरिज के बाद भी अलग से दावत और सामाजिक सत्कार किया जा सकता है|
          स्पष्टीकरण:- VakeelRKC उपरोक्त लाभ/हानियों का पक्षकार या विरोधी नहीं है ये तथ्य विभिन्न सामाजिक/ आर्थिक/ विधिक अनुसंधानों पर आधारित है|

          सलाह:- यदि आप कोर्ट विवाह करना कहते हैतो आपसे अनुरोध है कि दोनों एक बार सही जानकारी और सलाह के लिए VakeelRKC की टीम से अवश्य संपर्क करे|

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    👪 कोर्ट मैरिज की सुविधा:- VakeelRKC आपको कोर्ट मैरिज करने में पूरी सहायता करेगा | दोनों में से कोई भी पक्ष (वर या वधू) या वे/ या कोई एक पिछले एक महीने से उत्तर प्रदेश में रह रहे है (रेंट एग्रीमेंट प्रमाणपत्र के रूप में) या उत्तर प्रदेश का निवासी है या विवाह उत्तर प्रदेश में संपन्न हुआ है तो उनकी कोर्ट मैरिज जल्द से जल्द (यह भारतीय विवाह अधिनियम 1954 के तहत आवश्य समय लेगा) तथा न्यूनतम विधिक शुल्क पर (9,500) में संपन्न कराया जायेगाऔर प्रमाणित प्रति (जिसे आप कहीं भी ऑनलाइन वेरीफाई करा करते है) कि हिंदी और इंग्लिश में दो प्रतियाँ दी जाएगी | विवाह सम्बंधित दस्तावेज प्राप्त होने पर आपको (दोनों को निश्चित समय पर एक साथ) कचहरी में सक्षम विवाह अधिकारी के सम्मुख उपस्थित होना होगाप्रमाणपत्र तुरंत हाथो हाथया आपको मेल और पोस्ट कर भी किया जा सकता है | परन्तु विवाह में कोई आपत्ति प्रस्तुत होने पर आपको अलग से विधिक शुल्क देना होगा (यदि आप उपरोक्त में से किसी भी शर्त को पूरा नहीं करते, या आपका कोई सगा-संबधी आपत्ति दर्ज करता है) जो 3,000-15,000 तक हो सकता है,  यह आपके पास विवाह के दस्तावेजो के प्रकारऔर उपलब्धता (पहुँच) तथा आपत्ति के प्रकार आदि पर निर्भर करता हैफिर भी आप एक बार VakeelRKC की टीम से सलाह ले सकते हैलेकिन यदि आप दिन से दिन या न्यूनतम समय में विवाह संपन्न करना चाहते है तो (जो केवल उत्तर प्रदेश में संभव है) हमारी टीम से संपर्क कर सकते हैआपकी पूरी विधिक-सहायता और सुरक्षा की जाएगी|
    भारतीय विवाह अधिनियम 1954 (विशेष विवाह) के अंतर्गत 5 आसान चरणों में कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया
    कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया पूरे भारत में एक समान है, इसे विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अंतर्गत विधिक रूप दिया गया है। इस अधिनियम द्वारा स्वधर्म/ विभिन्न धर्म या अन्य जो भी लागु हो के स्त्री-पुरुष विवाह कर सकते है।
    क्या विवाह पंजीकरण ऑनलाइन किया जा सकता है
    हाँ । यह केवल उत्तर प्रदेश में संभव हैउत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली -2017 के तहत  विवाह पंजीकरण ऑनलाइन किया जा सकता। इसके लिए VakeelRKC की टीम से आपको मिलना होगा, विवाह पंजीकरण तत्काल या एक-दो दिन में हो जायेगा|
    कोर्ट मैरिज: शर्तें
    अध्याय 2, धारा 4, के अनुसार इस विवाह में शामिल होने ले लिए कुछ शर्तों का पालन करना ज़रूरी है। जो निम्न है
    1.    कोई पूर्व विवाह न हो: विवाह में शामिल होने वाले दोनों पक्षों की पहली शादी से जुड़े पति या पत्नी जीवित न हो। साथ ही कोई पूर्व विवाह वैध न हो।
    2.    वैध सहमति: दोनों पक्ष वैध सहमति देने के लिए सक्षम होने चाहिए। अपने मन की बात कहकर दोनों पक्षों को स्वेच्छा से इस विवाह में शामिल होना चाहिए।
    3.    उम्र: पुरुष की आयु 21 वर्ष से ज्यादा तथा महिला की 18 वर्ष से ज्यादा होना ज़रूरी है।
    4.    प्रसव के लिए योग्य: दोनों पक्षों का संतान की उत्पत्ति के लिए शारीरिक रूप से योग्य होना जरूरी है।
    5.    निषिद्ध संबंध: अनुसूची 1 के अनुसारदोनों पक्षों का निषिद्ध संबंधो की सीमा से बाहर होना जरूरी है। हालांकिकिसी एक के धर्म की परंपराओं में इसकी अनुमति होतो यह विवाह मान्य होगा।
    कोर्ट मैरिज प्रक्रिया – चरण 1
    1.    विवाह की सूचना/आवेदन:- कोर्ट में विवाह करने के लिए सर्वप्रथम जिले के विवाह अधिकारी को सूचित किया जाना चाहिए।
    सूचना किसके द्वारा दी जानी चाहिए?
    विवाह में शामिल होने वाले पक्षों द्वारा लिखित सूचना दी जानी चाहिए।
    सूचना किसे दी जानी चाहिए?
    सूचना उस जिले के विवाह अधिकारी को दी जाएगी जिसमें कम से काम एक पक्ष ने सूचना की तारीख से एक महीने पहले तक शहर में निवास किया हो। उदाहरण के तौर परयदि पुरुष और महिला जयपुर में हैंऔर देहरादून में विवाह करना चाहते हैं तो उनमें से किसी एक को सूचना की तारीख से 30 दिन पहले जयपुर/ देहरादून में निवास करना अनिवार्य है।
    सूचना का स्वरूप क्या है?
    सूचना का स्वरूप अनुसूची 2 के अधिनियम के अनुसार होना चाहिए जिसके साथ आयु और निवास के प्रमाण दस्तावेज भी संलग्न होने चाहिए।
    कोर्ट मैरिज प्रक्रिया: चरण 2
    सूचना का प्रकाशन सूचना कौन प्रकाशित करता है?
    जिले के विवाह अधिकारी जिसके सामने सूचना जारी की गयी थीवो ही सूचना प्रकाशित करता है।
    सूचना कहाँ प्रकाशित की जाती है?
    सूचना की एक प्रति कार्यालय में एक विशिष्ट स्थान पर तथा एक प्रति उस जिला कार्यालय में जहाँ विवाह पक्ष स्थायी रूप से निवासित है (अगर कोई है)प्रकाशित की जाती है।
    कोर्ट मैरिज प्रक्रिया: चरण 3
    विवाह में आपत्तियाँ
    आपत्ति कौन प्रस्तुत कर सकते हैं?
    कोई भीअर्थात अध्याय 2अधिनियम के अनुभाग 4 (ऊपर देखें) में सूचीबद्ध आधारों पर कोई भी व्यक्ति विवाह में आपत्ति प्रस्तुत कर सकता है। यदि प्रस्तुत की गयी आपत्तियों का ऊपर दिए गए तत्वों से मेल जोल कम हो तो उसका परिणाम नहीं होगा। हालांकिज्यादातर मामलों मेंविवाह अधिकारी को आपत्ति की जांच करना जरूरी है।
    आपत्ति कहाँ प्रस्तुत की जाती है?
    संबंधित जिले के विवाह अधिकारी के सामने आपत्ति प्रस्तुत की जाती है।
    आपत्ति के आधार क्या है?
    ऊपर दी गयी शर्तें तथा अधिनियम के अध्याय 2अनुभाग 4 में दी गयी सूची आपत्ति के आधार है।
    यदि आपत्ति (याँ) स्वीकार हो तो उसके परिणाम क्या है?
    आपत्ति प्रस्तुति के 30 दिनों के भीतर विवाह अधिकारी को जांच पड़ताल करना जरूरी है। यदि प्रस्तुत आपत्तियों को सही पाया गयातो विवाह सम्पन्न नहीं होगा।
    स्वीकार की गयी आपत्तियों पर क्या उपाय है?
    स्वीकार की गयी आपत्तियों पर कोई भी पक्ष अपील दर्ज कर सकता है।
    अपील किसके पास दर्ज की जा सकती है?
    अपील आपके स्थानीय जिला न्यायलय में विवाह अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में दर्ज की जा सकती है|
    अपील कब दर्ज की जा सकती है?
    आपात्ति स्वीकार होने के ३० दिन के भीतर अपील दर्ज की जा सकती है।
    कोर्ट मैरिज प्रक्रिया: चरण 4
    घोषणा पर हस्ताक्षर
    घोषणा पर कौन हस्ताक्षर करता है?
    दोनों पक्ष और तीन गवाह (विवाह अधिकारी की उपस्थिति में) घोषणा पर हस्ताक्षर करते है। विवाह अधिकारी भी घोषणा को प्रतिहस्ताक्षरित करता है।
    घोषणा का लेख और प्रारूप क्या है?
    घोषणा का प्रारूप अधिनियम की अनुसूची III में प्रदान किया गया है। प्रारूप नीचे पढ़े या डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
    कोर्ट मैरिज प्रक्रिया: चरण 5
    विवाह का स्थान
    विवाह का स्थान: विवाह अधिकारी का कार्यालय या उचित दूरी के भीतर किसी जगह पर विवाह का स्थान हो सकता है।
    विवाह का फार्म: विवाह पक्ष का चुना कोई भी फॉर्म स्वीकार किया जा सकता है लेकिन विवाह अधिकारी की उपस्थिति में वर और वधु को ये शब्द कहना जरूरी है।

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