1. परिवार वाले विवाह से सहमत न हो, लेंकिन वर-वधु (भावी) विवाह करना चाह रहे हो,
2. परिवार वाले वर या वधु की ईच्छा के विरूद्ध विवाह कहीं और करना चाह रहे हो, लेंकिन वर-वधु (भावी) आपस में विवाह करना चाह रहे हो,
3. यदि दुर्भायवश परिवार के कोई पारिवारिक सदस्य न हो, ऐसे युगलों को भी विवाह की स्वतंत्रता, सम्मान और अधिकार,
4. विवाह के लिए भारतीय संविधान, विधि-अधिनियमों को वर्तमान मान्यताओ पर महत्त्व दिया जाएँ,
5. साथ रह रहे हो (Live-in) लेकिन धार्मिक विश्वास, आडम्बरो और रुढियों को न मानते हो, और विधिक आवश्यकताओ के लिए रिश्ते को प्रमाणीकरण की आवश्यता हो,
6. दोनों पक्ष विभिन्न-धर्मो, संस्कृतियों को मनाने वाले हो, जिससे विवाह के तरीके और पद्धति पर सहमती न बन पा रही हो, जैसे हिन्दी-पंजाबी, बंगाली-मराठी, इसाई-मुस्लिम, मुस्लिम हिन्दू या इनका विपरीत आदि
7. यह विवाह कम खर्चीला और जल्द से जल्द होने वाला है अर्थात समय और पैसे की बचत के साथ क़ानूनी मान्यता भी है | (इसीलिए इसे आधुनिक विवाह पद्धति, सामाजिक बुराइयों का इलाज या विद्वानों- शिक्षितों का विवाह कहते है),
हाँ । यह केवल उत्तर प्रदेश में संभव है, उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली -2017 के तहत विवाह पंजीकरण ऑनलाइन किया जा सकता। इसके लिए VakeelRKC की टीम से आपको मिलना होगा, विवाह पंजीकरण तत्काल या एक-दो दिन में हो जायेगा|
विवाह में शामिल होने वाले पक्षों द्वारा लिखित सूचना दी जानी चाहिए।
सूचना उस जिले के विवाह अधिकारी को दी जाएगी जिसमें कम से काम एक पक्ष ने सूचना की तारीख से एक महीने पहले तक शहर में निवास किया हो। उदाहरण के तौर पर, यदि पुरुष और महिला जयपुर में हैं, और देहरादून में विवाह करना चाहते हैं तो उनमें से किसी एक को सूचना की तारीख से 30 दिन पहले जयपुर/ देहरादून में निवास करना अनिवार्य है।
सूचना का स्वरूप अनुसूची 2 के अधिनियम के अनुसार होना चाहिए जिसके साथ आयु और निवास के प्रमाण दस्तावेज भी संलग्न होने चाहिए।
जिले के विवाह अधिकारी जिसके सामने सूचना जारी की गयी थी, वो ही सूचना प्रकाशित करता है।
सूचना की एक प्रति कार्यालय में एक विशिष्ट स्थान पर तथा एक प्रति उस जिला कार्यालय में जहाँ विवाह पक्ष स्थायी रूप से निवासित है (अगर कोई है), प्रकाशित की जाती है।
कोई भी, अर्थात अध्याय 2, अधिनियम के अनुभाग 4 (ऊपर देखें) में सूचीबद्ध आधारों पर कोई भी व्यक्ति विवाह में आपत्ति प्रस्तुत कर सकता है। यदि प्रस्तुत की गयी आपत्तियों का ऊपर दिए गए तत्वों से मेल जोल कम हो तो उसका परिणाम नहीं होगा। हालांकि, ज्यादातर मामलों में, विवाह अधिकारी को आपत्ति की जांच करना जरूरी है।
संबंधित जिले के विवाह अधिकारी के सामने आपत्ति प्रस्तुत की जाती है।
ऊपर दी गयी शर्तें तथा अधिनियम के अध्याय 2, अनुभाग 4 में दी गयी सूची आपत्ति के आधार है।
आपत्ति प्रस्तुति के 30 दिनों के भीतर विवाह अधिकारी को जांच पड़ताल करना जरूरी है। यदि प्रस्तुत आपत्तियों को सही पाया गया, तो विवाह सम्पन्न नहीं होगा।
स्वीकार की गयी आपत्तियों पर कोई भी पक्ष अपील दर्ज कर सकता है।
अपील आपके स्थानीय जिला न्यायलय में विवाह अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में दर्ज की जा सकती है|
आपात्ति स्वीकार होने के ३० दिन के भीतर अपील दर्ज की जा सकती है।
दोनों पक्ष और तीन गवाह (विवाह अधिकारी की उपस्थिति में) घोषणा पर हस्ताक्षर करते है। विवाह अधिकारी भी घोषणा को प्रतिहस्ताक्षरित करता है।
घोषणा का प्रारूप अधिनियम की अनुसूची III में प्रदान किया गया है। प्रारूप नीचे पढ़े या डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
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